हिन्दी साहित्य में दलित विमर्श
बौद्ध काल से ही साहित्य में दलित वर्ग की उपस्थिति रही है किंतु एक आंदोलन के रूप में दलित साहित्य बीसवीं सदी की देन है। दलितो की जीवन और उसकी समस्याओं को केन्द्र में रखकर हुए साहित्यिक आंदोलन को दलित साहित्य कहते है ।
प्रेमचंद, निराला, अज्ञेय मुक्तिबोध, नागार्जुन आदि गैर दलित रचनाकारों ने दलित जीवन की त्रासदी एवं जीजिवसा पर रचनाएँ की हैं। दलित साहित्य की अवधारणा को लेकर लंबी बहसें चली। यह विमर्श का विषय रहा कि स्वानुभूति ही प्रामाणिक होगी या सहानुभूति को भी स्थान मिलेगा। प्रमुख दलित साहित्यकारों ने माना कि सवर्णों ने दलितों की पीडा को नहीं भोगा है इसलिए वे दलित साहित्य नहीं लिख सकते। उन रचनाकारों ने गैर दलितों के साहित्य को दलित चेतस साहित्य की संज्ञा दी है।
हालांकि यह मत ज्यादा दिनों तक टिका नहीं, लेकिन आरंभ में बहस का मुद्दा बना रहा। अंतत: इस बात पर एकमत्यता बनती नजर आई कि दलित साहित्य अस्सी और नब्बे के दशक में उभरा एक साहित्यिक आंदोलन है जिसमें प्रमुखता से दलित समाज में पैदा हुए रचनाकारों ने हिस्सा लिया और इसे अलग धारा मनवाने के लिए संघर्ष किया।
दलित पीड़ा को दलित साहित्यकारों ने कविता, कहानी, उपन्यास इत्यादि की शैली में प्रस्तुत किया है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 1914 में सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित हीरा डोम की कविता ’अछूत की शिकायत’ पहली दलित कविता है जबकि कुछ अन्य विद्वान स्वामी अछूतानन्द ‘हरिहर’ को पहला दलित कवि कहते हैं। स्वामी अछूतानन्द ‘हरिहर’ की कविताएँ 1910 से 1927 तक लिखी गई। 40 के दशक में बिहारी लाल हरित ने दलितों की पीड़ा को कविता-बद्ध किया। उन्होंने अपनी भजन मंडली के साथ दलितों को जाग्रत करने का प्रयास किया । दलितों की दुर्दशा पर बिहारी लाल हरित ने लिखा :
एक रुपये में जमींदार के, सोलह आदमी भरती ।
रोजाना भूखे मरते, मुझे कहे बिना ना सरती ॥
दादा का कर्जा पोते से नहीं उतरने पाया ।
तीन रुपये में जमींदार ने सत्तर साल कमाया ॥
दलित पैंथर आंदोलन के दौरान बडी संख्या में दलित जातियों से आए रचनाकारों ने आम जनता तक अपनी भावनाओं, पीडाओं, दुख-दर्दों को लेखों, कविताओं, निबन्धों, जीवनियों, कटाक्षों, व्यंगों, कथाओं आदि के माध्यम से पहुंचाया।
दलितों की सामाजिक स्थिति की वृहद चर्चा रवीन्द्र प्रभात ने अपने उपन्यास ‘ताकि बचा रहे लोकतन्त्र में’ की है। ‘दलित साहित्य के प्रतिमान’ में डॉ॰एन.सिंह ने हिन्दी दलित साहित्य के इतिहास को लिखा है।
प्रमुख दलित रचनाकार -
· बिहारी लाल हरित
· महाशय नत्थु राम ताम्र मेली
· ओमप्रकाश वाल्मीकि
· डॉ. धर्मवीर
· जयप्रकाश कर्दम
· तुलसी राम
· असंगघोष
· डॉ. उमेश कुमार सिंह
· कर्मानंद आर्य
· डॉ. राजेंद्र बडगूजर