- 3500 ई0 पूर्व से 600 ई0 पूर्व का काल
- पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर ही इतिहास निर्माण
- कुछ संस्कृतियों में लेखन के प्रमाण- पढ़े नहीं जाने के कारण साक्ष्य नहीं
- मुख्य रूप से ताम्र पाषाणिक युग एवं कास्य युग की संस्कृतियाँ
- हड़प्पा संस्कृति/सभ्यता इसका प्रमुख उदाहरण है।
I ताम्र पाषाण चरण
- ताम्र पाषाण चरण I (Chalcolithic phase I)
- 3500 ई0 पूर्व से 1200 ई0 पूर्व का काल
- नव पाषाण काल के समानान्तर भी एवं बाद भी
- पाषाण के साथ तांबा का प्रयोग tools निर्माण मे
- कच्ची ईट का प्रयोग, नीब पर ध्यान, वस्ती के बाहर रक्षा प्राचीर
- मृदभांड- कच्चे पके – सादे रंगे - चित्रण अंकन
- कृषक पशुचारक ग्रामीण स्थानीय हड़प्पा पूर्व संस्कृतियाँ
- अफगानिस्तान,पाकिस्तान एवं पश्चिमी भारत से प्रमाण
- भारत मे पंजाब, राजस्थान, हरियाना से
- अलग अलग क्षेत्रो से अलग अलग संस्कृतियों के प्रमाण
- झोब संस्कृति (पाकिस्तान)
- रानीघूंटई टीला – घोरे की अस्थियाँ / तांबे का पीन /सोने का प्याला/ कूबड़वाला बैल/ मदर गाडेस
- आमरी संस्कृति (पाकिस्तान)
- हड़प्पा पूर्व, हड़प्पा एवं हड़प्पा बाद के प्रमाण
- Black & Red ware
- कोटडीजी I संस्कृति (पाकिस्तान)
- हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पा के प्रमाण
- बार बार बसने उजरने (दो बार अग्नि कांड) के प्रमाण
- हड़प्पा पूर्व रक्षा प्राचीर एवं कार्नेलियन मनके का प्रमाण
- सोथी कालीबंगा I संस्कृति (राजस्थान / घघर तट)
- हड़प्पा पूर्व ग्रामीण संस्कृति
- जूते हुए खेत
- Black & Red ware/ साधार बर्तन
- चूड़ी निर्माण के प्रमाण
- हड़प्पा पूर्व रक्षा प्राचीर एवं कार्नेलियन मनके का प्रमाण
- क्वेटा संस्कृति
मेहरगढ़ –
- नवपाषाण, ताम्रपाषाण के हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पा
- कपास की खेती का प्रमाण
- कुली नाल संस्कृति
मेही –
- तांबे का दर्पण एवं पीन के प्रमाण
- शवाधान मे दाह संस्कार के प्रमाण
(ख) ताम्र पाषाण चरण II (Chalcolithic phase II)
- 2700-1750 BC
- हड़प्पा संस्कृति/ सभ्यता
- कास्य युग
- एक कालखंड के दूर दूर स्थित site से प्राप्त मृदभांड की तकनीक, रंगरौगन, चित्रण एवं डिजाइन की समानता पाए जाने पर उन्हे एक संस्कृति का माना जाता है
- पुरातत्व के समान्य नियम के अनुसार एक ही संस्कृति के एक से अधिक site मिलने पर सबसे पहले खोजे गये site के नाम से पूरी संस्कृति का नामकरण करते है
- 1400 से अधिक पुरास्थल 80% स्थल घघर (सरस्वती) एवं उसकी सहायक नदी के तट के आस पास
- सिन्धु नदी घाटी में फैले होने के कारण सिन्धु घाटी सभ्यता नाम
- खोज
- 1826 में चार्ल्स मैसेन ने हड़प्पा के ऊपरी तल से सामाग्री का संग्रह कर उत्खनन का सुझाव दिया
- 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी।
- 1872 में एलेक्जेंडर कनिंघम ने कुछ समग्रियों का संग्रह कारा 1000 वर्ष पुरानी संस्कृति का अनुमान
- 1921 मार्शल (ASI के महानिदेशक) के अनुरोध पर दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया।
- संस्कृति का नाम हड़प्पा संस्कृति व खोजकर्ता दयाराम साहनी
- 1922 राखाल दास बनर्जी ने लरकना जिले के मोहन जोदड़ो का उत्खनन किया
- फैलाव- पाकिस्तान, उत्तर पश्चिमी भारत, द० पू० अफगानिस्तान
- विभन्न नदियों के समीप पुरास्थल
प्रमुख पुरास्थल
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नदी
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प्रमुख पुरास्थल
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नदी
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सुक्टाजैनडोर
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दश्त
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हड़प्पा
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रावी
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कोटडीजी
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सिंधु
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दायमावाद
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परवारा
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मोहन जोदड़ो
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सिंधु
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आलमगीरपुर
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हिंडन
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आमरी
|
सिंधु
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कालीबंगा
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घघर
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मांडा
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चेनाव
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रोपड़
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सतलज
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लोथल
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भोगवा
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प्रभास
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हैरण्य
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फैलाव- पाकिस्तान, उत्तर पश्चिमी भारत, द० पू० अफगानिस्तान
- चौहदी -
- विस्तार उत्तर से दक्षिण – 1400 Km
पश्चिम से पूर्व – 1600 Km
- क्षेत्रफल - 1.29 मिलियन वर्ग किलोमीटर
- स्वीकृत आकार – त्रिभुजाकार
- समुद्र तटीय स्थल – सुक्टाजैनडोर, डाबरकोट, प्रभास, लोथल
- नगर – 7 मोहनजोदड़ों,
चांहुदर,
हड़प्पा,
कालीबंगा ,
लोथल,
बनावली ,
धौलावीरा
- राजधानी- प्रशासनिक - मोहनजोदड़ों, हड़प्पा, कालीबंगा
वाणिज्यिक - लोथल
- उत्खनन के बाद विस्तृत स्थल –
मोहनजोदड़ों >गबेरीवाला >राखीगढ़ी (भारत) >हड़प्पा >धौलावीरा (भारत)
- कच्छ गुजरात के कुंटाशी को सबसे बड़े site के रूप मे उभरने की संभावना
- सबसे सघन जनसंख्या/ बस्ती – घघर हकड़ा लाईन
- संस्कृति/culture (Art of craftmanship) का दौर – 2700 -1700 BC
- सभ्यता/Civilisation(Material achivement of culture) का दौर - 2400 – 1700 BC
- विभिन्न विद्वानों द्वारा बताए गए कालखंड
मार्शल – 3250 – 2750 BC
मेकाय - 3100 – 2700 BC
व्हीलर - 2500 – 1500 BC
फेयर सर्विस - 2000 – 1500 BC
डी पी अग्रवाल - 2300 – 1750 BC
जी टी गैड - 2350 – 1750 BC
- कालखंड निर्धारण की सापेक्ष विधि –
1. मोहनजोदड़ों के ऊपरी स्तर से कनिस्क कालीन स्तूप- 1st Cent से पूर्व
2. किसी स्थल से लोहे का उपकरण नहीं – 1200BC से पूर्व
3. समकालीनता– मेसोपोटामिया के कई स्थलो(उर,नित्पुर,किस,सुसा) से हड़प्पा संस्कृति की मुहर, मृदभांड, मनके आदि सामग्री प्राप्त सीरिया से प्राप्त सैन्धव सामग्रियों के आधार पर गैड ने व्यापार प्रमाणित किया
4. उर नित्पुर से प्राप्त कीलाक्षर लिपि के मिट्टी प्लेट के लेख जिसमे मेलुहा(सिंधु) से अगेड (बेबीलोन) व्यापार का उल्लेख
इस प्रकार कालखंड 2400 – 1900 BC
- कालखंड निर्धारण की निर्पेक्ष विधि C-14 के अनुसार
कालखंड - 2400-1700 BC
Mature Phase - 2350-1950 BC
हड़प्पा संस्कृति: नगर निर्माण योजना
- निर्माण योजना मे समरूपता Uniformity
- योजनावद्ध विन्यास Planned layout
- आयताकार खंडो मे विभाजित शहर Rectangular Greed Pattern City
- नगर दो हिस्सों मे विभाजित – पश्चिमी टीला एवं पूर्वी टीला
- अपवाद - धौलावीरा – तीन टीला Upper एवं Middle Town - दुर्गीकृत
- लोथल, सुरकोटडा – Single Town - दुर्गीकृत (fortified)
- पश्चिमी टीला – कम क्षेत्रफल/ अधिक ऊंचा/ योजनावद्ध/ कम आवादी/ Upper Town/ दुर्गीकृत (fortified)
- पूर्वी टीला - अधिक क्षेत्रफल/ कम ऊंचा/ योजनावद्ध/ अधिक आवादी/ Lower Town
- पश्चिमी टीला – कम क्षेत्रफल/ अधिक ऊंचा/ योजनावद्ध/ कम आवादी/ Upper Town/ दुर्गीकृत (fortified)
- अपवाद - विभाजित Upper Town - कालीबंगा
- दुर्गीकृत (fortified) नहीं – कोटडीजी, चांहुदर
- दुर्ग मे पत्थर का प्रयोग - सूक्टाजेंडोर
- दुर्ग मे कुछ पक्की ईट का प्रयोग - मोहनजोदड़ों
- दुर्ग मे पक्की ईट का बुर्ज/टाबर - मोहनजोदड़ों
- सबसे अधिक बुर्ज - कालीबंगा
- सुरक्षा प्रहरी का कमरा - धौलावीरा,सुरकोटाडा
- पूर्वी टीला - अधिक क्षेत्रफल/ कम ऊंचा/ योजनावद्ध/ अधिक आवादी/ Lower Town/ दुर्गीकृत नहीं
अपवाद - Lower Town दुर्गीकृत (fortified) - कालीबंगा
- मोहनजोदड़ों - विशाल स्नानागार परिसर
- विशाल अन्नागार परिसर
- विशाल सभा भवन
- कालेज भवन
- हड़प्पा - रेलवे ट्रैक निर्माण मे नष्ट
- कालीबंगा - 7 अग्नि वेदिका (Fire Altars) एक पंक्ति मे
- हड़प्पा - विशाल अन्नागार परिसर (दूसरा सबसे बड़ा)
- अनाज पीसने का 18 वृताकार चबूतरा
- 16 तांबे गलाने की भट्टी
- कब्रिस्तान R-37
- मोहनजोदड़ों - 16 बैरक एक पंक्ति मे
- Single Town लोथल - गोदीवारा (विशालतम)
- ईट-
- Light Red Colour
- भारतीय उपमहाद्वीप मे पक्की ईट का सर्वप्रथम प्रयोग
- दुर्ग, चबूतरा, सड़क मे सामन्यातया कच्ची ईट
- शौचालय, नाली, कुआँ, अन्नागार, भांडागार, विशिष्ट इमारत पकी ईट
- ईट सूखा कर पकाया जाता था| चांहुदर की ईट पर बिल्ली और कुत्ते के पंजे के निशान
- भट्ठे वस्ती के वाहर पर्यावरणीय समझ का द्योतक
- प्रकार मे विविधता आकार मे समरूपता (लोकप्रिय ईट -1:2:4)
- कालीबंगा मे कच्ची ईट की इमारते
- सड़के -
- Model Town मोहनजोदड़ों
- सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटती है अपवाद – बनावली
- सड़के –
मुख्य सड़क - एक साथ 7 बैलगारी – 10.5 मी०
सहायक सड़क- एक साथ 3 बैलगारी – 4.5 मी०
एवं गलियाँ -एक बैलगारी निश्चित – 1.5 मी०
- कालीबंगा की 1.8 की गुणज/ मुख्य अधिक सड़क चौड़ी
- सड़क निर्माण मे मिट्टी एवं कच्ची ईट का प्रयोग
- मोहनजोदड़ों की सड़कों पर कुछ पक्की ईट गिरे होने के प्रमाण
- भवन विन्यास -
- नीव पर विशेष ध्यान Mature Phase की पहचान
- सादा फर्श अपवाद – कालीबंगा के एक फर्श से संकेंद्रित डिजाइन
- भवन की दीवार साहुल के प्रयोग से सीधी
- मोहनजोदड़ों से कांसे का साहुल प्राप्त
- ईटों की चिनाई (मिट्टी, विटुमन, विटुमन एवं जिप्सम)
- दरवाजे (1-2.5 मी०) खिड़की भवन के पिछले हिस्से से अपवाद लोथल के एक भवन मे आगे
- खिड़की के ऊपर जालियों का प्रयोग मोहनजोदड़ों से मिट्टी की, लोथल से अलबेस्टर पत्थर
- छत निर्माण मे श्रेष्ठता नहीं
- सीढ़ी सीधी, पतली, लंबी एवं ऊंची,
- स्तम्भ का प्रयोग कुछ भवनो मे मोहनजोदड़ों से 20 स्तभों वाला हाल
- स्तम्भ आयताकार
- जल/मल निकास व्यवस्था -
- समकालीन सभ्यताओं मे सबसे विशिष्ट
- Elaborate & Extensive Drainage System
- पकी ईट का प्रयोग
- पकी मिट्टी के पाइप का प्रयोग – चंहुदड़ो एवं हड़प्पा
- खांचेदार नाली का प्रयोग - मोहनजोदड़ों छत निर्माण मे श्रेष्ठता नहीं
- वृक्ष के तने को खोखला कर नाली – कालीबंगा
- लोथल मे नाली के भीतर नाद, कम गहराई, नाली मे उतारने के लिए जगह जगह सीठियाँ, छोटे छोटे छेद वाले पत्थर के फिल्टर नियमित सफाई एवं उतम व्यवस्था के प्रमाण
- जल प्रबंधन -
- धौलावीरा एक मात्र site जहाँ से उच्च जल प्रबंधन तकनीक के प्रमाण
- धौलावीरा मे आपूर्ति एवं निकास दोनों नाली की व्यवस्था
- शौचालय -
- व्यक्तिगत शौचालय निर्माण/ मकान के भीतर
- कुंआ -
- गोलाकार एवं भवन के भीतर मोहनजोदड़ों मे सार्वजनिक कुंआ
- पक्की ईट का प्रयोग एवं नियमित सफाई
- भीतर से चिकना नहीं, जगत नहीं, सार्वजनिक कुंआ के वगल मे नाली
हड़प्पा संस्कृति: अर्थव्यवस्था
- कृषि -
- मोहनजोदड़ों से दो पत्थर के हल
- चेलिस्तान, बनावली से मिट्टी प्लेट पर हाला का डिजाइन
- लोथल के एक मृदभांड पर बीज यंत्र की आकृति
- कृत्रिम सिचाई की संभावना (मालवन से सिचाई नहर)
- भंडारण – हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ों से अन्नागार लोथल से भंडागार
- हड़प्पा से 18 वृताकार आज पीसने का चबूतरा
- लोथल से अनाज पीसने की चक्की के दो पाट
- लोथल से चूहेदानी
- गेहूं - हड़प्पा, मोहनजोदड़ों, रहमान की ढेरी
- जौ - हड़प्पा, बनावली
- धान – लोथल, रंगपुर
- बाजरा – गुजरात लोथल
- कपास - मोहनजोदड़ों से उत्तम सूती कपड़ा, आलमगीरपुर मोटा सूती कपड़ा, हड़प्पा से सूती कपड़े के धागे मे गहना लपेटा हुआ तथा मछली पड़ने के कांटे मे सूती धागा लगा हुआ
- दलहन – मेहरगढ़, हड़प्पा
- तिलहन – सरसों और तिल की खेती की संभावना ठोस साक्ष्य नहीं
- फल – हड़प्पा ( बीज, मृदभांड पर वृक्ष, पत्ते का डिजाइन)
- पशुपालन -
- घोडा – लोथल से घोड़े जैसी मृणमूर्ति/ सुरकोटडा से घोड़े की अस्थियाँ
- गाय - लोथल से विवादित मृणमूर्ति
- ऊंट – मामूली रूप से परिचित
- Humped Bull कुवड़वाला साढ़ – मृद्भांड पर सबसे अधिक चित्रण
- Unicorn Single Horned Humpless Bull एक शृंगी कुवड़ रहित बैल/सांढ – काल्पनिक मुहर पर सबसे अधिक अंकन, धार्मिक महत्व ,
- शिल्प-उद्योग -
- शिल्प – छोटे स्तर पर कम पूंजी, श्रम से सामान्य उत्पादन
- कताई/ बुनाई/ कढ़ाई/ रंगसाजी/ कसीदाकारी
- उद्योग - बड़े स्तर पर अधिक पूंजी विशिष्ट श्रम से विशेष वस्तु का उत्पादन
- धातु उद्योग – हड़प्पा, लोथल – तांबा मोहनजोदड़ों, कालीबंगा - कांसा
- सूती वस्त्र उद्योग – सिंदौन
मोहनजोदड़ों - उत्तम सूती कपड़ा,
आलमगीरपुर - मोटा सूती कपड़ा,
हड़प्पा - सूती कपड़े के धागे मे गहना लपेटा हुआ तथा
मछली पड़ने के कांटे मे सूती धागा लगा हुआ
लोथल- कपड़ा बुनने का छाप डिजाइन
- मनका उद्योग – सबसे अधिक कांचली मिट्टी(फ़ेयॅन्स) के
चांहुदर – अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कार्नेलियन मनके , लोथल
- बाट वटखरा उद्योग – समरूप 16 एवं 16 के गुणज / सर्वाधिक चर्ट पत्थर
चर्ट पत्थर सक्कररोहरी (सिंध क्षेत्र) से प्राप्त
निर्माण केंद्र- लोथल
- हाथी दाँत उद्योग- कच्छ से प्राप्त – लोथल, रंगपुर
- मुहर निर्माण उद्योग – सेलखड़ी के सबसे अधिक / चौकोर
केंद्र -मोहनजोदड़ों
प्रस्तर मूर्ति निर्माण - – मोहनजोदड़ों, हड़प्पा
- परिवहन -
- मालवाहक पशु –गधा, भैंस, खच्चर, घोड़ा
- हड़प्पा से मिट्टी का खिलौना गाड़ी
- चांहुदार से कांसे की चार पहिया वाली खिलौना गाड़ी
- दायमवाद- रथनुमा कांसे का खिलौना गाड़ी जिसे नग्न गाड़ीवान चला रहा है
- बनावली - सड़क पर बैलगाड़ी के पहिये का निशान
- लोथल – अलवस्टर पत्थर का पहिया
- मोहनजोदड़ों से प्राप्त मुहर पर नाव का अंकन
- लोथल से नाव नुमा मिट्टी का खिलौना
- लोथल से गोदीबाड़ा
- व्यापार
- अधिशेष कृषि उत्पादन – अन्नागार (हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ों)
- बेहतर औद्योगिक उत्पादन – भंडागार (लोथल)
- सात नगर और कसवाई केंद्र
- सड़क मार्ग (कच्ची) जल मार्ग (नदी एवं समुद्री)
- संरूप तौल प्रणाली –लोथल, हड़प्पा, मोहनजोदड़ों/ रास समरा, फैलका 16 के गुणज
- नाप प्रणाली - मोहनजोदड़ों-सीप का बना पैमाना, हड़प्पा – कांसे का स्केल, लोथल-हाथी दाँत का स्केल, रास समरा (सीरिया)- लोथल-हाथी दाँत का स्केल
- मजबूत व्यापारी वर्ग –लोथल के भांडागार से 70 मुद्रा छाप की प्राप्ति (trademark/जाइंट ट्रेड)
- सीरिया कई स्थलो के उत्खनन से सैन्धव बाट बटखड़े/ स्केल – सैन्धव व्यापारियों की कालोनी
- विनिमय का साधन सिक्का नहीं
- विकसित बंदरगाह – सुक्टाजेंडोर, डाबरकोट, प्रभास, लोथल
- वाह्य संपर्क-
- बाहर के धातु – सोना, चांदी, कांसा;
- बाहर के पत्थर- लाजवर्त, फिरोजा;
- मेसोपोटामिया के उर, सूसा कीश, अगेड, उत्तरी अफ्रीका एवं पश्चिमी एशिया से मुहर मृदभांड की प्राप्ति;
- उत्तरी सीरिया से स्केल बाट बटखरे की प्राप्ति
- मोहनजोदड़ों एवं आलमगीरपुर से चील के आकृति वाली मुहर – मेसोपोटामीयन प्रभाव
- लोथल से गोलाकार पर्सियन खाड़ी मुहर
- उर/नितपुर से कीलाक्षर लेख मेलुहा(सैन्धव क्षेत्र) से चला जहाज मगन (मकरान क्षेत्र), दिलमुन (बहरीन) के रास्ते अगेड (द० बेबीलोनिया/ मेसोपोटामिया )पहुँच रहा है
- हड़प्पा से ताबूत शवाधान
- समकालीन सभ्यता मे अन्नागार निर्माण, बाल मे फीता फिलट बांधने की प्रवृति, कुछ पशुओं का दाढ़ी युक्त चित्रण,
- लोथल से पिरामिडनुमा पक्की मिट्टी का खिलौना
-
सामाजिक जीवन
- साहित्यिक साक्ष्य के अभाव मे विशेष जानकारी नही
- विशिष्ट वर्ग – शासक, अधिकारी, पुरोहित, व्यापारी
- सामान्य वर्ग – कृषक, दस्तकार, शिल्पी, श्रमिक, दास
- मानव मृण मूर्तियों मे नारी मृण मूर्तियों की बहुसंख्या एवं मातृदेवी की प्राप्ति के कारण मातृ प्रधान समाज स्वीकारा गया
- एकल परिवार की व्यवस्था
- सीमित महत्वाकांक्षा एवं कम परिवर्तन स्वीकारने वाले
- लेखन कला –
PICTOGRAPHIC SCRIPT
537 Symbol
62 संकेत चिन्ह
500 वर्ष तक विना परिवर्तन के चला
पढ़ा नहीं जा सका
- वस्त्र –
- सूती
- यद्यपि भेड़ पालन होता था परन्तु ऊनी वस्त्र के साक्ष्य नहीं
- पहनावा –
- नारी – मातृ देवी के अनुरूप एक वस्त्र , गले मे हार, कमरबंद
- पुरुष – मोहनजोदड़ों से योगी मूर्ती एक लम्बे शाल ढंग का वस्त्र
- लंबे/ छोटे बाल, फीते का प्रयोग
- पुरुष दाढ़ी रखते भी हैं बनाते भी हैं
- मोहनजोदड़ों कालीबंगा से उस्तुरा
- लोथल फ्रेंचकट दाढ़ी वाली मूर्ती
- मोहनजोदड़ों से सर्वाधिक साक्ष्य- शृंगार पेटिका, ताम्बे का दर्पण, हाथी दांत की कंघी, शृंगार टेबल, (सुरमा, शैम्पू, परफ्युम तैयार करने के साक्ष्य)
- चांहुदर से लिपीस्टीक के उपयोग की संभावना
- सोना, चांदी, कांसा, हाथी दांत, ताम्वा
- गले का हार, कर्णवाली, मणका- पुरुष + महिलाएं
- मोहनजोदड़ों से बाल बांधने की सोने की पत्ती प्राप्त
- कुणाल से चांदी के दो मुकुट और सोने की अंगूठी प्राप्त
- मितथाल से पत्थर की बनी अंगूठी
- चूड़ियाँ– केवल महिलाएं (सीसे की नहीं)
- फ़ेयॅन्स, सेलखडी, पक्की मिट्टी, शंख की
- मोहनजोदड़ों से कांसे की नर्तकी मुर्ति -दाहिने हाथ मे केवल चार चुडी वाये हाथ मे कंधा से लेकर कलाइ तक
- कालीबंगा एवं चान्हुदर की बनी/मितथाल से शंख की चूड़ियाँ
अंत्येष्ठि प्रक्रिया
- दफनाना ( पूर्ण विस्तीर्ण शवाधान + आंशिक/ आंशिक कलश), खुले में छोर देना, दाह संस्कार
- समाधि/ कब्र/CEMETERY
- सामान्यत: आयताकर अपवाद- अण्डाकार/ गोलाकार - कालीबंगा
- सामान्यत: मिट्टी एसई ढंका अपवाद- पत्थर से सूरकोटाडा
- सामान्यत: उपयोगी सामाग्री के साथ अपवाद -कुत्ता के साथ रोपड़
- सामान्यत: एकल अपवाद-युगल/ युग्म लोथल
- पीठ के बल लिटाने की प्रवृति अपवाद- पेट के बल कालीबंगा करवट लिए लोथल
- सामान्यत: N-S लिटाने की प्रवृति अपवाद S-N कालीबंगा E-W लोथल, W-E धौलावीरा
- अधिकतम Proto Austroloid मोहनजोदड़ों से एक मात्र Mongoloiad
- हड़प्पा से ताबूत शवाधान के साक्ष्य
हड़प्पा संस्कृति: धर्म
- आंतरिक पक्ष – साहित्यिक साक्ष्य की अनिवार्यता
- वाह्य पक्ष – सीमित जानकारी
- मातृदेवी – मुहर/मृणमूर्ति
- भारतीय क्षेत्र मे केवल बनावली से मृणमूर्ति प्राप्त
- पशुपति - मोहनजोदड़ों से प्रशिद्ध मुहर प्राप्त
- मार्शल ने पशुपति कहा
- प्रजनन अंगों की पूजा Phallic worship
- वृक्ष का धार्मिक महत्व – पीपल
- पशु का धार्मिक महत्व – वास्तविक पशु (सबसे अधिक Humped Bull)
- Semi Bovine Creature अर्ध पशु- अर्ध मानव
- Complex animal
- Complex mythical ( एक शृंगी कूबड़ रहित साढ़)
- अग्नि का धार्मिक महत्व – कालीबंगा (7) / लोथल /बनावली / संघोल (वृताकार) से अग्नि कुंड Fire Altar प्राप्त
- जल का धार्मिक महत्व - Great Bath Complex मोहनजोदड़ों
- सर्प का धार्मिक महत्व – नाग (मोहनजोदड़ों से कई मुहर प्राप्त)
- योग का धार्मिक महत्व – पशुपति योगासान की मुद्रा मे चित्रित
- मोहनजोदड़ों से योग मुद्रा वाली मृणमूर्ति की प्राप्ति
- टोने टोटके की ओर संकेत – अलग तरह के पशु की कल्पना, ताबीज की प्राप्ति, मूहर के एक शीरे पर गढ़ा, स्वास्तिक आकृति , लोथल से तांवे की मानवकृति आकृति प्राप्त
हड़प्पा संस्कृति: कला
- अशुद्धि रहित चिकनी/जलोढ़ मिट्टी के अधिकतर पकाए हुए
- हस्तचालित चाक / पदचालित चाक (सैंधव काल से प्रारम्भ)
- सभी घरेलू वर्तन , two handed jar विशिष्ट
- समस्त पात्र आधारयुक्त
- Lower town से अधिकतम सादे एवं Upper town से रंगीन
- कृत्रिम एवं प्राकृतिक रंग का प्रयोग
- BW/RW/B&RW/ BLACK SLIPPED RED WARE
- डिजाइन के विना एवं डिजाइन के साथ
- ठप्पा लगा मृदभांड – हड़प्पा, मोहनजोदड़ों
- लेख खुदे मृदभांड – हड़प्पा
- मनुष्य की आकृतिवाला मृदभांड – हड़प्पा (हिरणी मनुष्य के बच्चे को दूध पिलाती हुयी/ मछूआरा जाल के साथ)
- खड़ी लोमरी (पंच तंत्र की चालाक लोमरी) की आकृतिवाला मृदभांड- लोथल
- सबसे अधिक सेलखड़ी का सबसे कम तांवा का (लोथल एवं दशलपुर )
- गुजरात के देवानी माड़ो से सेलखड़ी प्राप्त
- आयताकार/वर्गाकार
- मुहरों पर आकृतियाँ एवं लेख (अधिकतम)
- उपयोग- ताबीज़, आभूषण, पहचान चिह्न, गांठ पर ठप्पे लगाने मे
- सभ्यता के बाहर एवं अंदर से प्राप्त
- बाहर- मेसोपोटामिया (लगास/सूसा /टेपेगबरा), बहरीन (रास उल कला), कूबैत (फैलका)
- पशुपति + पशु + कुछ लेख – पशुपतिशील – मोहनजोदड़ों
- पशुपति +सप्तमातृका +पीपल +उपासक +मिश्र पशुमानव – मोहनजोदड़ों
- पशुपति + नाग सर्प – मोहनजोदड़ों
- नाव अंकन – मोहनजोदड़ों
- स्वास्तिक चिह्न – मोहनजोदड़ों, चंहुदड़ों
- कुत्ता खरगोश को पकड़े हुए – हड़प्पा
- रीच + घरियाल - आलमगीरपुर
- परसियन खाड़ी मुहर – लोथल
- दो नग्न आकृति हाथ मे ध्वज पकड़े और ध्वज से पत्तियाँ निकलती हुयी – चंहुदड़ो
- तांवे की मुहर – लोथल, दशलपुर
- मिट्टी > धातु > प्रस्तर
- मनुष्य, पशु-पक्षी, खिलौना, गाड़ी, सीटी, झुनझुना
धातु
- कांसे की डांसिंग गर्ल – मोहनजोदड़ों
- ताम्वे का कुत्ता, खरगोस – लोथल
प्रस्तर
- सेलखड़ी की योगी मूर्ती , प्रस्तर की हाथी, भेड़ा मूर्ति एवं भेड़ा मूर्ति – मोहनजोदड़ों
- प्रस्तर की Proto type Shiva मूर्ति, जैन योगी मूर्ति, माडलिंग जैसी पुरुष मूर्ति - हड़प्पा
- मुहरों पर सबसे अधिक
- हड़प्पा से मृदभांड पर
- धौलावीरा के दीवार खंड पर सबसे बड़ा लेख खुदा है
- Pictographic लिपि
- कुल 537 symbole मूल चिन्ह 62
- Projection R – L
- द्रविदियन लिपि के आस पास – आई डी महादेवन
- मुहर पर हलावर्त शैली/ Postroferdal (R-L, L-R, R-L)
हड़प्पा संस्कृति: उद्भव के मत
हड़प्पा संस्कृति: Decline के मत
(ग) ताम्र पाषाण चरण III (Chalcolithic phase III)
- 1900 ई0 पूर्व से 1200 ई0 पूर्व का काल
- हड़प्पा सभ्यता के पतन के दौर के समानान्तर क्षेत्रीय संस्कृति
- Post Harrapan culture
- कृषक पशुचारक ग्रामीण स्थानीय संस्कृतियाँ
- कृषि पूर्ण व्यवस्थित
- हल बैल आधारित कृषि (इनामगाँव के मृदभांड पर हल जूते बैल का चित्रण)
- कृत्रिम सिचाई – इनामगांव से कृत्रिम बांध बनाने के प्रमाण
- कृषि उपकरण –पत्थर एवं तांवे के (बेहतर ढाले हुए)
- फसल-धान/ गेहूं/ जौ/ कपास/ मटर/ मूंग/ मसूर/ उड़द (तेलहन के साक्ष्य नहीं)
- धान – अहार (पुआल की प्राप्ति)
- कपास – नैवासा (एक मात्र)
- दलहन- सबसे बेहतर नवदाटोली
धान एवं कपास को छोड़ कर समस्त फसल- इनामगांव
- कृषि एवं घरेलू उपकरण तांवे के
- गिलुन्द से सबसे अधिक तांबे के उपकरण प्राप्त 2॰ दायमावाद
- कायथा से दो साकेट लगी कुलहारी
- अहार संस्कृति मकान निर्माण मे सबसे आगे (कच्ची ईट का प्रयोग)
- गिलुन्द के एक मकान से पक्की ईट के प्रमाण – अपवाद
- इनामगाव से दो सौ घर की वस्ती
- दफनाने की प्रवृति/ बच्चों को घड़े मे डालकर घर के आँगन या बगल मे दफनाने की प्रवृति
- कायथा संस्कृति के मृदभांड सबसे बेहतर
- जोरवे के बर्तन टोटीदार
- मालवा के वर्तन पर मानव चित्रण
II. लौह काल / Iron Phase
1100- 600 BC
महापाषाण कालीन संस्कृति
- नवपाषाण के बाद सुदूर South में अधिकांश
- मृतकों के अवशेषों की सुरक्षा के लिए बड़े बड़े पत्थरों का प्रयोग
- South India के ब्रह्मगिरी, मस्की, पुदुकौटै, आदिकच्चनलुर, चितलदुर्ग, शानुर से
- महापाषाण का निर्माण ऊँची पहाड़ी पर एवं इसके नीचे तालाब पाए गए हैं
- कृषक समाज
- चावल, जौ, चना, रागी, कुल्थी की खेती
- संभवत: लोहे के प्रयोग करने वाले पहले लोग
- लोहे के तलवार, कटार, त्रिशूल, चपटी कुल्हारी, फावड़े छेनी, बसूला, हंसिया, भाले आदि प्राप्त
- काले लाल मृदभांड
- मृतकों के अवशेषों की सुरक्षा के लिए एक पत्थर का प्रयोग
- मेनहिर- एक पत्थर खड़ा कर दिया जाता था
- कैपस्टोन- एकल मेगालिथ क्षेतीज रूप से रखे जाते थे
- मृतकों के अवशेषों की सुरक्षा के लिए एक से अधिक पत्थरों का प्रयोग
- Alignments/संरेखण- एक से अधिक मेगालिथ एक साथ- महापाषानिक दीवारे/ सैक्लोपियन दीवार
- Stone circle/ शिलावर्त- कई पत्थरों के प्रयोग से जमीन पर गोले का आकार
- क्राम्लेच – पत्थर का घेरा
- डोलमेन – Stone table- दो या दो से अधिक पत्थरों पर एक कैपस्टोन रख कर बनाया जाता था
- स्तुपाकार ढेर या वृत
- टोपिकल्लू- छाते की तरह
- कोडेकल – साँप के फन की तरह
PGW संस्कृतियाँ
- इन्हें 'चित्रित धूसर मृद्भाड' (PGW Painted Grey Ware) स्थल कहते हैं।
- 1000-500 ई०पू० में उत्तरी गंगा के मैदान में
- इस काल और क्षेत्र के लगभग 700 स्थल प्रकाश में आए हैं, जहां सबसे पहले बस्तियां कायम हुई।
- PGW -स्थल के निवासी मिट्टी के चित्रित और भूरे रंग के कटोरों और थालियो तथा लोह के हथियारों का प्रयोग करते थे
- 'चित्रित-धूसर-मृद्मांड लौह अवस्था के पुरातत्व ईसा पूर्व प्रथम सहस्राब्दी के पूर्वाद्ध में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान के संलग्न क्षेत्रों में बसने वाले लोगों के जीवन के बारे में प्रकाश डालते है।